5 Terrific Books That Can Make You Fall In Love With Math

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1.  The Hidden Maths of Everyday Life by Jordan Ellenberg   Quote to think about: “A basic rule of mathematical life: if the universe hands you a hard problem, try to solve an easier one instead, and hope the simple version is close enough to the original problem that the universe doesn’t object.” Ellenberg shows how wrong you are when considering math as nothing but a dull set of rules to learn at school. Mathematics touches everything we do. It allows us to see the hidden structures underneath the chaotic surface of this world. Armed with math, you can see the true meaning of information. This book provides insights to encourage your clear thinking about different areas of life. As the author says, doing math is like being “touched by fire and bound by reason. Logic forms a narrow channel through which intuition flows with vastly augmented force.” 2.  A Beautiful Mind by Sylvia Nasar Quote to think about: “I’ve made the most important discovery of my life. It’s only in the mysterious

Haunted bus - Horror story ( हौंतेद बस)

 

                    




सामान पैक करो रिया ऑलरेडी बहुत देर हो चुकी है तुम शायद भूल गई कार सर्विस को दे रखी है जल्दी चलो फिर कोई वाहन नहीं मिलेगा।"

अपने फोल्डर कलर्स तेजी से समेटता हुआ आशीष बोला।

"अरे बाबा बस हो गया , कल की एग्जीबिशन के लिए कुछ तैयारियां रह गई थी वह निपटा रही थी।"

तेजी से आगे बढ़ते आशीष का पीछा करती हुई रिया लपकती हुई उसके पीछे भागती हुई बोली।

कुछ कल के होने वाले इवेंट का तनाव और कुछ दिन भर की थकान से आशीष गुस्से में आ गया था और चुप था।

"ऐसा करना आशीष तुम अपनी अभी एक सेल्फी निकाल लो कल एग्जीबिशन के गेट पर लगा देंगे तुम्हारा फूला हुआ मुंह देखकर आने वाले दर्शक समझेंगे इस एंटीक पीस की तरह अंदर के आर्ट पीसेज भी एंटीक ही होंगे।"

रिया ने यह बात इतना गंभीर मुख बनाकर कही कि आशीष की एकदम से हंसी छूट पड़ी।

अब यह प्यारा युगल आर्ट गैलरी के कोरिडोर से होता हुआ सड़क पर हाथ में हाथ डाले आ गया था।

आशीष और रिया की मुलाकात फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा करते हुए हुई थी। बेहद प्रतिभाशाली दोनों एक दूसरे के गुणों से जल्दी ही अवगत हो गए और अपनी पढ़ाई के पूरे होते होते दोनों ने साथ जीवन बिताने का फैसला कर लिया था।

अपनी इस आर्ट स्टूडियो को बहुत मेहनत से दोनों ने खड़ा किया था और अब इस संस्थान में अनेकों छात्र अपनी प्रतिभा को निखारने आते थे।

कल का दिन दोनों के लिए बहुत खास था क्योंकि वह अपनी जीवन की पहली आर्ट एग्जिबिशन लगाने वाले थे।

"आशीष देखो कैब बुक कर लेते हैं।" सड़क पर पसरा सन्नाटा देखकर रिया थोड़ी चिंतित होते हुए बोली।

रिया की बात को मानकर आशीष अपना फोन निकालने ही वाला था कि तभी सामने से एक बस तेजी से आकर रुकी।

बस रुकते ही बस का दरवाजा झटके से खुल गया।

बस में अंदर झांकते हुए आशीष ने पूछा,"सिविल लाइन्स जाएगी क्या यह बस ?"

अंदर बैठे भावहीन चेहरे वाले व्यक्ति , जो शायद कंडक्टर था, ने कहा, "हां"

उसका गंभीर चेहरा देखकर आशीष कुछ सोच ही रहा था कि रिया उसका हाथ पकड़कर तेजी से बस में चढ गई ,"अरे वाह जल्दी चलो।"

बस पूरी भरी हुई थी बस बैक सीट खाली दिखाई दे रही थी।

दोनों तरफ की सीट की बीच बनी लेन से गुजरते हुए दोनों पीछे तक जा पहुंचे।

उस लेन से गुजरते हुए आशीष ने एक बात महसूस की की सभी के चेहरे नीचे झुके हुए थे।

पीछे बैठे हुए आशीष ने यह बात जब रिया को बताई तो वह बोली, "रात का समय है ज्यादातर लोग सो ही रहे होंगे।"

उनके बैठतै ही खट की आवाज से मेन डोर बंद हो गया और घर्र की आवाज के साथ बस चल दी।

रात गहराती जा रही थी।

रिया के साइड में एक करीब दस बारह साल की एक लड़की बैठी थी। रिया उसको देख कर मुस्कुराई लेकिन वह पत्थर की तरह बैठी रही।

उसकी मासूमियत बरबस रिया का ध्यान अपनी ओर खींच रही थी कला की पारखी रिया उसे जल्दी से जल्दी अपनी ड्राइंग शीट पर उतारना चाहती थी।

थोड़ी देर शांति रही बस भी तेजी से दौड़े जा रही थी।

लड़की को सपाट अपनी तरफ देखते देख रिया उससे बात करते हुए बोली, "हेलो बेटा आप अपना स्केच बनवाओगी?"

लड़की अब भी शांत थी हां उसने हां में सर हिला दिया था।

 धीरे-धीरे बस में अजीब सी आवाजें आने लगी जैसे कि शायद कोई रो रहा था।

धीरे धीरे आवाज बढ़ने लगे। घबराकर आशीष ने अपने से थोड़े आगे वाले यात्री से पूछा जो सिर झुकाए बैठा था।

" क्या हुआ यह कैसी आवाजें आ रही हैं।"

जैसे ही उस व्यक्ति ने सिर उठाया उसका आधा चेहरा जला हुआ था।

देखकर रिया की चीख निकल गई।

वह व्यक्ति बोला, "शायद आगे किसी को कोई चोट लगी है इसलिए रो रहा है।"

धीरे-धीरे बस में रुदन बढ़ता जा रहा था रिया ने देखा बराबर बैठी लड़की का चेहरा पूर्व पत्थर समान ही था लेकिन उसकी आंखों से लाल आंसू बह रहे थे।

आशीष और रिया अब पूरी तरह से घबरा चुके थे।

आशीष ने खड़े होकर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, "बस यही रोक दो हमें ही उतरना है।"

लेकिन बस थी कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

बस में लाइटें भी तेजी से जलने बुझने लगी।

आशीष रिया को लेकर पीछे वाले एग्जिट गेट तक आ चुका था।

अगले स्टॉप पर बस कि थोड़ा हल्का होते ही वह रिया को लेकर कूद गया।

थोड़ी गति में होने के कारण रिया और आशीष को हल्की चोटें आई थी।

बस तेजी से आगे निकल चुकी थी।

आशीष ने उठकर रिया को सहारा देकर उठाया। अब दोनों बस जल्दी से घर पहुंचना चाहते थे।

वहां से दोनों ने कैब बुक कर ली । घर पहुंचने तक रिया बेहद घबरा गई थी आशीष ने उसको कॉपी और पेन किलर देकर सुला दिया।

गिरने से उसे खुद भी बहुत जगह चोट आ गई थी वह भी पेन किलर खा कर सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार रह रहकर उसे बस कि वह घटना याद आ रही थी।

सुबह नाश्ते की टेबल पर दोनों बेहद शांत थे। रात की घटना से अपना ध्यान हटाकर आज के अपने बहुप्रतीक्षित इवेंट में ध्यान लगाना चाहते थे।

बस आशीष यह बोला वह कोई साधारण बस नहीं थी वह जरूर हॉन्टेड बस थी।

रिया हंस पड़ी ,"अरे तुम कब से बातों को मानने लगे।"

लेकिन आशीष अब उसकी किसी बात का उत्तर देना नहीं चाहता था।

आर्ट गैलरी जगमगा रही थी। आशा के विपरीत अप्रत्याशित भीड़ को देखकर दोनों बहुत खुश थे।

आशीष दौड़ दौड़ कर सब व्यवस्था देख रहा था।

रिया आए मेहमानों के एक समूह को किसी आर्ट पीस की विशेषताएं बताने में मग्न थी तभी उसने देखा वह बस वाली लड़की उसकी तरफ आ रही थी।

उसको देख कर रिया तेजी से उसके पास गई।

"तुम यहां कैसे?"

पूछने पर वह लड़की बोली ,"आपने ही तो कहा था कि तुम्हारा स्केच बनाना है तो मैं बाबा के साथ आई हूं।"

"अरे बुलाओ बाबा को कहां है वह?" रिया ने एंट्रेंस की तरफ झांकते हुए पूछा।

"वह मुझे छोड़ गये हैं आप तब तक मेरा स्केच बनाइए अभी आते होंगे।"

रिया बोली, "अच्छा आओ बैठो ।"कहकर उसने अपनी एक स्टूडेंट से लड़की के लिए चॉकलेट लाने को कहा।

उसने आशीष को भी मेसेज कर दिया कि वह वहां आ जाए वह जल्दी से जल्दी आशीष को दिखाना चाहती थी कि देखो यह लड़की आई थी आशीष मन में उस बस के लिए गलत बात पाले बैठा था।

रिया उस लड़की को बिठाकर स्केच बनाने लगी।

"मैडम यह चॉकलेट किस को देनी है।" चॉकलेट लेने वाले स्टूडेंट्स ने जब रिया से पूछा।

तो रिया बोली, "अरे इस लड़की को ।"

और उस लड़की की तरफ मुंह करके बोली, "अरे बेटा मैं तो आपका नाम पूछना ही भूल गई।"

तब तक आशीष भी आ चुका था वह बोला, "किससे मिलवाना है?"

वह परेशान था उसके हाथ में अखबार था।

"मैडम आप किससे बात कर रही है यहां तो कोई भी नहीं है।"

रिया को चॉकलेट देता हुआ वह स्टूडेंट आगे चला गया।

अब रिया के माथे पर पसीना आ गया था।

"देखो रिया हमरा जिस बस में बैठे थै उसका कल सुबह ही एक्सीडेंट हो गया था और सारे यात्री मारे गए थे ।"आशीष की आवाज उसके कानों में दूर से आती महसूस हो रही थी।

सामने बैठी लड़की मुस्कुरा रही थी।

"कोई मुझे नहीं देख पाएगा सब भूत समझते हैं ना मुझे । आपने मेरा स्केच बनाने को कहा था मैं सिर्फ आपको दिखुंगी , आप मेरे बहुत सारी स्केच बनाना।"

रिया की आवाज उसके गले में घुटती हुई महसूस हो रही थी और उसके हाथ बिना उसके नियंत्रण के उस लड़की का स्केच बनाने में व्यस्त थे।

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